अकबर और बीरबल की अनोखी कहानी

अकबर और बुरिवाल की अनोखी कहानीबहुत समय पहले की बात है, जब बादशाह अकबर का शासन पूरे हिंदुस्तान में फैला हुआ था। उनके दरबार में अनेक बुद्धिमान मंत्री थे, लेकिन बीरबल सबसे चतुर और प्रिय थे। अकबर अक्सर बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेते रहते थे, और बीरबल हर बार उन्हें चौंका देते थे।

एक दिन सुबह-सुबह एक अजीब मुकदमा लेकर एक किसान अकबर के दरबार में आया। उसके साथ एक और आदमी था, जो देखने में साधारण लगता था लेकिन उसकी आँखों में चालाकी झलक रही थी।

किसान ने कहा,
“जहाँपनाह! इस आदमी ने मेरी बकरी चुरा ली और अब कहता है कि बकरी उसकी है। मैं सुबह-सुबह जब खेत गया, तो देखा कि मेरी बकरी वहाँ नहीं थी। खोजते-खोजते इसे पकड़ लाया हूँ।”

वह दूसरा आदमी बोला,
“हुजूर, यह झूठ बोल रहा है। यह बकरी मेरी है, और मैंने इसे कई सालों से पाला है।”

अकबर सोच में पड़ गए। बकरी दोनों के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं था। तब उन्होंने बीरबल की ओर देखा और कहा,
“बीरबल, अब यह समस्या तुम्हारे हवाले है। सच्चे मालिक का पता लगाओ।”

बीरबल मुस्कराए और बोले,
“जहाँपनाह, मुझे एक दिन का समय दीजिए। मैं इस बकरी की सच्चाई पता लगाऊंगा।”

बीरबल ने बकरी को अपने साथ ले लिया और दोनों आदमी को अगले दिन आने को कहा।

बीरबल ने उस रात बकरी को खूब अच्छे से खिलाया, उसे प्यार से पुकारा, और उसकी पसंदीदा हरी घास दी। साथ ही उन्होंने अपने सेवक से कहा,
“कल सुबह इस बकरी को ठीक उसी जगह छोड़ देना जहाँ से यह किसान उसे खो बैठा था, और देखना कौन इसे पुकार कर बुलाता है।”

अगले दिन दरबार में दोनों आदमी फिर हाज़िर हुए। बीरबल ने मुस्कराते हुए कहा,
“हमने बकरी को खेत में छोड़ दिया है। अब तुम दोनों जाकर उसे बुलाकर लाओ। जो बकरी के नाम पर बुलाने से बकरी दौड़ी चली आए, वही उसका असली मालिक होगा।”

दोनों आदमी खेत में गए। पहले वह चालाक आदमी जोर-जोर से बकरी को बुलाने लगा, लेकिन बकरी उसे देखकर भी नहीं हिली। फिर किसान ने अपना खास अंदाज़ अपनाया — उसने पुकारा, “छुटकी! छुटकी! इधर आ!”

बकरी ने जैसे ही यह आवाज़ सुनी, वह दौड़ती हुई किसान के पास आ गई और उसके पैरों में सिर रगड़ने लगी।

यह देखकर बीरबल बोले,
“जहाँपनाह! अब तो यह साफ है कि बकरी इसी किसान की है। जानवर कभी भी अपनी आवाज़, अपने स्नेह को नहीं भूलते।”

अकबर ने प्रसन्न होकर कहा,
“बीरबल, तुम्हारी बुद्धिमानी एक बार फिर साबित हो गई।”

उन्होंने किसान को बकरी लौटाई और उस दूसरे व्यक्ति को चेतावनी दी कि आगे से झूठ बोलने पर सज़ा मिलेगी।

झूठ चाहे जितना भी चतुराई से बोला जाए, सच्चाई हमेशा जीतती है। और सच्चे प्रेम की पहचान सबसे पहले जानवरों को होती है।

शिक्षा:

झूठ चाहे जितना भी चतुराई से बोला जाए, सच्चाई हमेशा जीतती है। और सच्चे प्रेम की पहचान सबसे पहले जानवरों को होती है।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top